Stages Of Sadhna
अभ्यास का तरीका
(इति मार्ग की साधना) |
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पहली सीढ़ी
(पहले 8 घंटे ईश्वर की याद) |
दूसरी सीढ़ी
(दूसरे 8 घंटे ईश्वर की याद,16 घंटे ईश्वर की याद) |
तीसरी सीढ़ी
(तीसरे 8 घंटे ईश्वर की याद, 24 घंटे ईश्वर की याद) |
उप-विभाग 1 è पूजाआधा घंटा सुबह पूजन+आधा घंटा सांयकाल पूजन(इस प्रकार पूजा का 1 घंटा) उप-विभाग 2è भोजन ईश्वर की याद में आधा घंटा दोपहर भोजन (स्वादेन्द्रिय निग्रह भोजन) + आधा घंटा रात्रि भोजन (इस प्रकार पूजा का 1 और घंटा) उप-विभाग 3è सोने से पहले ईश्वर की याद ईश्वर ध्यान में सोना (इस प्रकार पूजा के 6 और घंटा) बार-बार करने से आदत बन जाती है | आदत से अभ्यास सरल हो जाता है | (जिस प्रकार बच्चा माँ का दूध पीते-पीते सो जाता है, रात इस साधना की पहली सीढ़ी से हर व्यक्ति कितना भी व्यस्त क्यों न हो आसानी से 8 (1/2 घंटे सुबह पूजन + 1/2 घंटे सांयकाल |
पहली सीढ़ी के बाद
(जब 8 घंटे ईश्वर ध्यान का अभ्यास पूरा हो जाये) खाली समय (काम के अलावा) भगवान की याद में बिताये (बार-बार अभ्यास करने से आदत बन जाती है) जैसे: सुबह के वक़्त ईश्वर की याद –ब्रुश करते वक़्त,शेविंग करते वक़्त, स्नान – –जब हम व्यवसाय, दफ्तर व दुनिया का कोई -हम देश की जनता को पाँच भागो में बाँट सकते है | 1. किसान 2. व्यापारी 3. बुद्धिजीवी 4. कारखानों के कार्यकर्ता 5.देविया काम में भावना का महत्व है जो उसको परोपकारी बना देता है | |
पहली और दूसरी सीढ़ी के बाद
( 16 घंटे ईश्वर ध्यान का अभ्यास पूरा होने के बाद ) जब बुद्धि का काम आए तो उसे ईश्वर का समझकर पूर्ण एकाग्रता के साथ करे अपने आप को ईश्वर के हाथों का यन्त्र समझे जब बुद्धि का कार्य समाप्त हो जाए तो उसे ईश्वर को अर्पित करे| यह भाव निष्काम कर्म की (निष्काम कर्म : जिस काम को करने से पहले, करते हुए, और कर चुकने के बाद, -जितने अच्छे कर्म है वह सोने की जंजीर है, जो बुरे कर्म है लोहे की जंजीर |